Homeपॉलिटिक्स80 आदिवासी बहुल सीटों पर जयस की पकड़, समझें समीकरण
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80 आदिवासी बहुल सीटों पर जयस की पकड़, समझें समीकरण

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India News (इंडिया न्यूज़), Madhya Pradesh Assembly Election 2023: अगले 6 महिने में मध्यप्रदेश के विधानसभा चुनाव होने वाले है। जिसके चलते राज्य की सियासी गलियारों में हलचल बढ़ गई है। तीसरे विकल्प की तलाश में तमाम राजनीतिक दल अपनी जोर आजमाइश में प्रयास कर रहे है।

मध्यप्रदेश में आदिवासियों का वोट एमपी की तकरीबन 84 सीटों पर अपना प्रभाव रखता है। ऐसे में आदिवासी संगठन जयस की भूमिका अहम मानी जा रही है। जयस ने प्रदेश में 80 सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान किया है।

जयस ने कल 16 मई को अपने स्थापना दिवस समागम के साथ ही 2023 के विधानसभा चुनावों के लिए अपने अभियान का शंखनाद कर दिया था।

युवाओं पर किया फोकस

जयस की स्थापना को 10 वर्ष पूरे हुए थे। इस अवसर पर संगठन का स्थापना दिवस बड़ी धूमधाम से के साथ मनाया गया। इस कार्यक्रम में मिशन युवा नेतृत्व को साकार करने पर फोकस किया गया। समागम में आदिवासियों को एकजुट करने, उनके उत्थान और विकास का संकल्प दोहराया गया. यहां जल, जंगल और जमीन जैसे मुद्दों पर नए युवाओं को अपने अधिकार के बारे में जागृत किया गया।

जयस की आदिवासी इलाकों में है पकड़ मजबूत

बता दें कि जयस की स्थानपना 16 मई 2013 को प्रदेश के आदिवासी युवाओं ने की थी। वहीं कल जयस संगठन के 10 वर्ष पूरे हो चुके है। जिसके चलते इस संगठन का आदिवासी बाहुल्य इलाकों और जिलों में अच्छा खासा प्रभाव है। जो प्रदेश की राजनीति को अच्छा-खासा प्रभावित करता है।  जयस का मालवा-निमाड़ आदिवासी जिलों धार, झाबुआ, आलीराजपुर, बड़वानी, खरगोन, खंडवा, मंडला, बालाघाट, अनूपपुर, डिंडौरी, राजगढ़ और देवास में प्रभाव है। आदिवासियों की समस्या, उनके संवैधानिक अधिकार, पलायन रोजगार, जल जंगल जमीन सहित अन्य मुद्दों पर इस बार का चुनाव हो सकता है।

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