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Karnataka Hijab Controversy हाईकोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि इस्लाम में हिजाब नहीं अनिवार्य

Karnataka Hijab Controversy

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इंडिया न्यूज़, बेंगलुरू:

Karnataka Hijab Controversy कर्नाटक हाईकोर्ट (Karnataka High Court bench has put an end to the hijab controversy)की बेंच ने उडुपी(hijab controversy that arose from Udupi) से उठे हिजाब विवाद पर विराम लगा दिया है। आज दिए फैसले में हाईकोर्ट ने कहा है कि इस्लाम में हिजाब पहना अनिवार्य ही नहीं(Wearing Hijab is not mandatory in Islam) है। बता दें कि कर्नाटक के एक कॉलेज की छात्राओं ने कर्नाटक उच्च न्यायालय में हिजाब पहनने को लेकर याचिका दायर की थी। लड़कियों की ओर से याचिका में कहा गया था कि उन्हें क्लास में हिजाब पहनने की अनुमति दी जाए। लेकिनक सुनवाई करते हुए मुस्लिम छात्राओं की अपील को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है। बता दें कि इस मामले में सुनवाई 25 फरवरी को ही पूरी कर ली गई थी। लेकिन फैसला सुरक्षित रख लिया गया था।

Karnataka Hijab Controversy
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जस्टिस की सुरक्षा बढ़ाई गई

हाईकोर्ट कर्नाटक के जजों की फैसला देने के बाद सुरक्षा बढ़ा(Security beefed up for judges) दी गई है। बता दें कि यह अहम फैसला चीफ जस्टिस रितुराज अवस्थी, जस्टिस जेएम खाजी और जस्टिस कृष्णा एस दीक्षित की बैंच ने सुनाया है। (Justice security beefed up) फैसले में बेंच ने कहा है कि स्कूल यूनिफार्म को लेकर नियम तय करता है। जिसे कोई भी विद्यार्थी नकार नहीं सकता। कर्नाटक एजुकेशन एक्ट-1983 की धारा 133 का हवाला देते हुए कहा गया है कि राज्य में सरकारी और प्राइवेट शिक्षण संस्थान अलग-अलग यूनिफार्म का चयन कर इसे लागू करते हैं। लेकिन हिजाब पहन कर आना स्कूल यूनिफार्म में नहीं आता। वहीं फैसले के बाद दक्षिण कन्नड़ के जिला कलेक्टर ने आज सभी स्कूलों और कॉलेजों को बंद रखने का आदेश दिया है। प्रशासन ने इसके साथ ही धारा 144 भी लागू कर दी है।

क्या था विवाद

बता दें कि कर्नाटक में हिजाब विवाद की शुरुआत उडुपी के सरकारी कॉलेज से हुई थी। इसी साल जनवरी में जब कॉलेज की कुछ मुस्लिम छात्राओं को हिजाब पहने होने के कारण कक्षा में प्रवेश करने से रोक दिया गया था। उसके बाद उडुपी समेत अन्य जिलों में कॉलेज के फैसले का विरोध करते हुए कई जगह धरने प्रदर्शन किए गए थे। वहीं इसी दौरान कई जगह पुलिस को सख्ती भी दिखानी पड़ गई थी। उसके बाद मामला कोर्ट में चला गया था। जहां जस्टिस कृष्णा दीक्षित ने यह मामला ऊपरी  बेंच को भेज दिया था।

क्या था विवाद
क्या था विवाद

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